Wednesday, 5 May 2021

लड़की ने सबकी बोलती बंद कर दी...

 पहले तो लगा ये लड़की क्या बोलेगी, बोली तो सबकी बोलती बंद कर दी....


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Tuesday, 2 February 2021

अमर शहीद श्री गजेंद्र राव सुर्वे का 16 वां शहीद स्मृति समारोह

 अमर शहीद श्री गजेंद्र राव सुर्वे का 16 वां शहीद स्मृति समारोह, 2 फरवरी 2022



Tuesday, 11 August 2020

हम कहते हैं ना किशोर कुमार "थे" नहीं "हैं"

 ऐसे कलाकार बच्चे जहाँ खड़े होते हैं, वहाँ मंच बन जाता है।

वास्तविक स्केल (Bm) पर किशोर दा का ऐतिहासिक गीत उठाने वाली फ़नकारा का नाम "नेहा नाज़" बताया गया है, संभवतः क़व्वाली गाती हैं .. इससे अधिक जानकारी नहीं हैं... संगीत के विद्वान संज्ञान में लें...


Tuesday, 12 November 2019

दरबार-ए-अशरफिया में मनाया गया ईद मिलाद अन नबी जश्न . . . . .

मखदूम अशरफ चैरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट एवं दरबार-ए-अशरफिया ( शान ए हिंदुस्तान ) में मनाया गया ईद मिलाद अन नबी जश्न . . . . .
भारत समेत दुनिया के कई देशों में 10 नवंबर को ईद मिलाद-उन-नबी मनाया गया ! ईद मिलाद-उन-नबी का नाम सुनते ही मन में ये सवाल उठने लगता है कि ये कौन सी ईद है और मुसलमान साल में कितनी ईद मनाते हैं ! तो इसका जवाब ये है कि ईद का अर्थ होता है ख़ुशी यानी ईद मिलाद-उन-नबी का मतलब है नबी के जन्म की ख़ुशी ! नबी यानी इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (570-632). हज़रत मोहम्मद का जन्म सऊदी अरब के शहर मक्का में साल 570 ईस्वी में इस्लामिक वार्षिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख़ को हुआ था ! इस्लामिक कैलेंडर लूनर नियम पर आधारित है इसलिए इस्लामिक तारीख़ और अंग्रेज़ी तारीख़ अलग-अलग होती है ! इस बार 12 रबी-उल-अव्वल 10 नवंबर को है इसलिए रविवार को ईद मिलाद-उन-नबी मनाया जा रहा है ! मुसलमानों का विश्वास है कि अल्लाह ने अलग-अलग समय पर दुनिया के हर हिस्से में अपना संदेश देने के लिए अपने दूत भेजे हैं जिन्हें नबी या पैग़म्बर (पैग़ाम यानी संदेश देने वाला) कहा जाता है ! हज़रत मोहम्मद अल्लाह के भेजे गए आख़िरी दूत हैं !

Part 01

Part 02

Part 03

Tuesday, 6 August 2019

शिक्षा स्थान से जन्म स्थान तक KKC मैत्री क्लब की संगीतमय यात्रा

KKC मैत्री क्लब द्वारा निरंतर चौथे वर्ष अपने क्लब के प्रेरणा स्त्रोत किशोर कुमार के जन्मदिन पर उनके जन्म स्थान खंडवा निजी बस से करीब 35 संगीतप्रेमियों को लेकर क्रिश्चियन कॉलेज से यात्रा प्रारंभ की थी, रास्ते में सनावद में भव्य स्वागत सत्कार के बाद यात्रा खंडवा में समाधी स्थान पर पहुंची जहां पर प्रत्येक सांथी ने गाना गाकर श्रद्धांजलि अर्पित की और जन्म स्थान गौरीकुंज जाकर बंगले को निहारा एवं किशोर दा का अतिप्रिय दूध जलेबी भी किशोर दा को अर्पित किया। यात्रा में 4 वर्ष के बच्चे से लेकर 70 वर्ष के बुजुर्ग भी शामिल थे।

Part 01


Part 02


Part 03


Part 04